उत्तराखंड विधानसभा का सोमवार से प्रारंभ होने जा रहा सत्र यादगार रहने वाला है। राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के दृष्टिगत सरकार इससे संबंधित विधेयक पेश करेगी। देश में यह पहली बार होगा, जब किसी राज्य विधानसभा में इस तरह का विधेयक प्रस्तुत होने जा रहा है। इसके अलावा राज्य निर्माण आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को सरकारी सेवाओं में क्षैतिज आरक्षण विधेयक भी सदन में पारित हो सकता है। समान नागरिक संहिता की पहल जहां अन्य राज्यों के लिए भी नजीर बनेगी, वहीं राज्य निर्माण आंदोलनकारियों की लंबे समय से चली आ रही साध भी पूरी होगी। पिछले वर्ष सितंबर में हुए विधानसभा के मानसून सत्र का सत्रावसान न होने के कारण अब भले ही इसे विस्तार दिया गया है, लेकिन समान नागरिक संहिता जैसे महत्वपूर्ण विषयों के सत्र में आने से यह विशेष हो गया है। इसीलिए इसे विशेष सत्र का नाम दिया जा रहा है। पहले बात समान नागरिक संहिता की। विशेषज्ञ समिति इसका ड्राफ्ट सरकार को सौंप चुकी है और कैबिनेट ने भी इस पर मुहर लगा दी है। सरकार ने इरादा जताया है कि वह विधानसभा के इसी सत्र में समान नागरिक संहिता से संबंधित विधेयक सदन में प्रस्तुत करेगी। समान नागरिक संहिता विधेयक का सदन में पारित होना अपने आप में ऐतिहासिक क्षण होगा। उम्मीद जताई जा रही है कि सारगर्भित चर्चा कर सदन इसे पारित करेगा। सदन की मुहर लगने और बाद में राजभवन की हरी झंडी मिलने पर उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा, जहां यह कानून लागू होगा। यानी, राज्य में सभी के लिए एक समान कानून होंगे। सरकार की यह पहल अन्य राज्यों के लिए नजीर बनेगी और वे भी अपने यहां ऐसी पहल करने को प्रेरित और प्रोत्साहित होंगे।

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