ऐसा नहीं है कि आडवाणी चल फिर नहीं सकते. वे सम्मान ग्रहण करने राष्ट्रपति भवन जा सकते थे. इस सम्मान अवसर के निम्न चित्र में वे बकायदा मोजे जूते पहने दिख रहे हैं, जिससे सिद्ध होता है कि वे फिलहाल आत्म निर्भर हैं. लगता यह है कि मोदी आडवाणी को किसी महत्वपूर्ण कार्यक्रम, स्थान या भूमिका में देखना ही नहीं चाहते. प्रतीत होता है कि उन्हें अपने ही घर में नजरबंद रखा गया है. आडवाणी के चेहरे की रुष्टता और मोदी के चेहरे की गर्वित भाव भंगिमा से सब कुछ स्पष्ट दिख रहा है. राष्ट्रपति मुर्मू बार बार मर्माहत होने के लिए अभिशप्त हैं. दिल्ली के जगन्नाथ मंदिर के दर्शन की बात हो या फिर नए संसद भवन के शुभारंभ की, वे अपनी कथित निम्न जाति के कारण पहले भी अपमानित हो चुकी हैं. अपना जमीर गिरवी रखने वालों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है यह रामनाथ कोविद के बाद द्रौपदी मुर्मू के आभासी चीरहरण से स्पष्ट हो चुका है.

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