अल्मोड़ा: दुनिया की प्राचीन युद्ध कला यानी देसी मार्शल आर्ट, जिसे कलारीपयट्टू के नाम से भी जाना जाता है, की शुरुआत केरल से हुई थी. अब उत्तराखंड के अल्मोड़ा में भी इसकी ट्रेनिंग होने जा रही है. वैसे तो आज ताइक्वांडो और जूडो कराटे के अलावा तमाम तरह की सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग दी जाती हैं, पर उत्तराखंड में पहली बार मार्शल आर्ट की जननी कलारीपयट्टू की कार्यशाला अल्मोड़ा में आयोजित होने जा रही है. योगनिलयम संस्थान द्वारा इसकी शुरुआत की जा रही है, जिसमें बच्चों से लेकर बड़े भी इसे सीखने में रुचि दिखा रहे हैं. भारतीय युद्ध कला कलारीपयट्टू का प्रशिक्षण उत्तराखंड में अभी तक नहीं किया जाता था, पर अब अल्मोड़ा में इसकी शुरुआत हो रही है. 1 जनवरी से लेकर 31 जनवरी 2024 तक इसका शिविर अल्मोड़ा में लगने जा रहा है, जिसे योगनिलयम संस्थान आयोजित कर रहा है. 25 दिसंबर तक लोग इसमें पंजीकरण करा सकते हैं. अभी तक 40 लोग रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं. इस युद्ध कला में लाठी, तलवार, भाला, कटार, सेल्फ डिफेंस के अलावा तमाम तकनीक सिखाई जाएंगी. यहां 7 साल से ऊपर के बच्चों को प्रशिक्षण दिया जाएगा.