भारतीय टीम की टेस्ट सीरीज में न्यूजीलैंड के खिलाफ क्लीन स्वीप की हार ने सभी को झकझोर कर रख दिया. इस अभूतपूर्व हार ने गौतम गंभीर को टीम इंडिया का मुख्य कोच नियुक्त होने के बमुश्किल 3 महीने बाद ही भारी दबाव में डाल दिया है. गंभीर को काफी धूमधाम से टीम के कोच पद पर नियुक्त किया गया था. इसके साथ हाल में उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए चयन समिति की बैठक में भी शामिल किया गया था. राष्ट्रीय टीम के साथ उनके शुरुआती रिपोर्ट कार्ड से साफ पता चलता है कि पूर्व ओपनर के लिए चीजें अच्छी नहीं दिख रही हैं. गंभीर को टीम चयन मामलों में भी काफी छूट दी गई है और ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अगर टीम के प्रदर्शन में बड़ा सुधार नहीं होता है तो आने वाले समय में टीम से संबंधित मुद्दों पर उतनी अहम भूमिका नहीं निभा पाएंगे. गौतम गंभीर के कमान संभालने के तुरंत बाद, भारत 27 वर्षों में पहली बार श्रीलंका से वनडे सीरीज हार गया. फिर न्यूजीलैंड ने रविवार को घरेलू टेस्ट में अपनी टीम का 3-0 से सफाया कर दिया. भारत का इससे पहले कभी भी तीन या उससे अधिक मैचों की सीरीज में सूपड़ा साफ नहीं हुआ था. टीम के साथ कोच केवल योजना ही बना सकता है लेकिन स्पिनरों के खिलाफ भारतीय बल्लेबाजों की कमजोरी जानने के बावजूद मुंबई में पूरी तरह से स्पिनरों की मददगार पिच के चयन करने पर उन पर सवाल उठ रहे हैं. गंभीर हर परिस्थिति में खिलाड़ियों से एक ही जैसा रवैया चाहते है, जिसे भारतीय क्रिकेट से करीब से जुड़े लोगों के लिए भी समझना मुश्किल है. मुंबई में न्यूजीलैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट की दूसरी शाम तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज को नाइटवाचमैन के रूप में भेजने और पहली पारी में सरफराज खान को आठवें नंबर पर भेजने पर सहमति कुछ ऐसे रणनीतिक कदम हैं जिन पर हर कोई सवाल उठा रहा है. दिल्ली और केकेआर के तेज गेंदबाज हर्षित राणा और आंध्र और एसआरएच के ऑलराउंडर नीतीश रेड्डी उन दो खिलाड़ियों में शामिल है जिन्हें मुख्य कोच की मांग पर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए टीम में चुना गया है. ऑस्ट्रेलिया सीरीज गंभीर के लिए एक कठिन परीक्षा होगी क्योंकि उन्हें कुछ दिग्गज खिलाड़ियों का बचाव करने के साथ उन्हें आईना दिखाना पड़ सकता है. क्योंकि बोर्ड की उन पर पैनी नजर है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *