मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को 219 नव चयनित प्रधानाचार्यों को नियुक्ति पत्र वितरित किए। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा राजकीय माध्यमिक स्कूलों के लिए चयनित किए गए इन प्रधानाचार्यों को उन्होंने नसीहत दी कि वह स्कूल समय के अतिरिक्त एक घंटा विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए कक्षाएं चलाएं। ऐसे गरीब विद्यार्थी जो मेधावी हैं और किसी तरह कोचिंग की फीस भर पाते हैं, उनका भला होगा। उन्होंने कहा कि मेडिकल और इंजीनियरिंग की की प्रवेश परीक्षाओं में इन विद्यार्थियों के चयनित होने से स्कूलों का भी नाम होगा। एक समय राजकीय इंटर कालेज माध्यमिक शिक्षा की रीढ़ माने जाते थे। मगर समय पर शिक्षकों का चयन न होने के कारण धीरे-धीरे शिक्षा का स्तर गिरा और छात्रों की संख्या कम होती गई। जिसके कारण लोगों का विश्वास इन स्कूलों से उठ गया। मुख्यमंत्री के अनुसार, यूपी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का केंद्र होने के साथ-साथ शिक्षा का हब भी था। माध्यमिक शिक्षा परिषद की परीक्षाओं में ठेके पर नकल होने और अधिकांश समय परीक्षा, परिणाम और प्रवेश में ही निकल जाने के कारण इन स्कूलों की बदनामी हुई। मगर वर्ष 2017 से यूपी बोर्ड परीक्षाओं में सख्ती की गई तो वह पूरे देश के लिए नजीर बन गई। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अब 56 लाख छात्रों की यूपी बोर्ड हाईस्कूल और इंटर के परीक्षा 15 दिनों में संपन्न होती है और मात्र 15 दिनों में ही परीक्षा परिणाम घोषित हो जाता है। नकल विहीन परीक्षा कराने के लिए सीसीटीवी कैमरे की मदद से कंट्रोल रूम बनाकर सख्त निगरानी की व्यवस्था है। छह वर्षों में छह लाख सरकारी नौकरियां दी और उसमें से 1.64 लाख शिक्षकों की भर्ती बेसिक और माध्यमिक स्कूलों में की गई। सीएम योगी ने चयनित प्रधानाचार्यों को नसीहत देते हुए कहा कि वह अपने विद्यालय को ठीक करने के लिए जरूरी कदम उठाएं। विद्यार्थियों को कौशल विकास की ट्रेनिंग भी दें। अपने संस्थान में वैराग्य भाव से कार्य करेंगे तो अच्छे नतीजे नहीं मिलेंगे और फिर यहां से निकले विद्यार्थियों को भी कुछ हाथ नहीं लगेगा।