पिथौरागढ़ : दौरे की शुरुआत के लिए पीएम ने पिथौरागढ़ को ही क्यों चुना? इसके धार्मिक, सामरिक ही नहीं सियासी निहितार्थ भी हैं। चीन सीमा के पास आदि कैलाश और ओम पर्वत के दर्शन, पूजा अर्चना, वहां तैनात जवानों के बीच जाना, सीमांत गांवों के लोगों के साथ संवाद करना, हर घटना का अपना संदेश है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन-नेपाल सीमा से सटे पिथौरागढ़ में खड़े होकर कहा कि पहले की सरकारें सीमांत क्षेत्र का विकास करने में डरती थीं। उन्हें भय रहता था कि विकास करेंगे तो दुश्मन अंदर घुस आएगा लेकिन हम न डरते हैं न डराते हैं। हम दुनिया से आंख मिलाकर बात करते हैं। यही वजह है कि हमने देश की सीमाओं से सटे हर क्षेत्र में 4200 किलोमीटर सड़कें, 200 पुल व 22 सुरंगें बना दी हैं। संचार सेवा दुरुस्त कर रहे हैं। इतना ही नहीं अब हमारी योजना सीमा तक रेल पहुंचाने की है। इसका फायदा उत्तराखंड को भी मिलेगा। पीएम ने कैलाश और ओम पर्वत के दर्शन किए तथा पार्वती कुंड पर ध्यान लगाया। अल्मोड़ा के जागेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की। 42 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री ने पूर्व की सरकारों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पहले की सरकारें सीमावर्ती गांव को अंतिम गांव मानती थीं। उनके विकास का नंबर भी सबसे अंत में आता था। हमारी सरकार ने उन्हें प्रथम गांव का दर्जा दिया और तेजी से विकास भी कराया। आज वहां सड़क है, बेहतर स्कूल हैं। स्वास्थ्य के साथ ही संचार सेवा भी बेहतर की है।